Tuesday 26 September 2023

छत्तीसगढ़ पौराणिक कथाएं (दोहा छंद)

                        (1)
प्रचलित पौराणिक कथा, कोसल देश अनेक।
सादर वर्णित मैं करूँ, अपनी बुद्धि विवेक।।1।।

मेघदूत रचना करे, कालिदास कवि राज।
नाटक शाला सरगुजा, भ्रमण राम वनसाज।।2।।

शिखर सिहावा धमतरी, महानदी उद्गार।
श्रृंगी जोगी तप धरा, करे धर्म आभार।।3।।

जिला रायपुर में बसे, राम नाथ ननिहाल।
चंदखुरी वह गाँव है, कौशिल्या सुत ताल।।4।।

भीमखोज में भीम की, पाद चिन्ह की छाप।
खल्लारी ममतामयी, लोग करे है जाप।।5।।

त्याग सिया है आस में, वाल्मीकी के धाम।
लवकुश भाई आ मिले, तुरतुरिया है नाम।।6

महानदी तट में मिले, सिरपुर बौद्ध विहार।
बाणासुर अरु है शिवा, व्हेनसांग कर सार।।7।।

तीन नदी की मेल है, कौशल राज प्रयाग।
शबरी माता भील ने, बेर खिला रघु बाग।।8।।

कौसल गंगा कह सभी, शबरी मन्दिर धाम।
पावन नगरी वन रहे, गमन करे जब राम।।9।।

पावन लोचन धाम है, शिवा कुलेश्वर देव।
तीन धार के बीच में, तेज रहे सत मेव।।10।।

                         (2)
जशपुर में है तपकरा, नागराज के लोक।
भीम हजारों बल मिले, बाद लोग कर रोक।।11।।

त्रेतायुग वन काल में, लगी सिया को प्यास।
बाण चला के राम ने, झरना करे निकास।।12।।

प्यास बुझाये जानकी, राम नाम गुण गात।
झरना बहते राम के, जान रायगढ़ बात।।13।।

मोरध्वज पद्मावती, करते थे बड़ दान।
विप्र रूप माधव प्रगट, करे परीक्षा जान।।14।।

माँग दान मे ईश ने, ताम्रध्वज दो चीर।
माँस स्वान तब खा सके, आँख बहे मत नीर।।15।।

दिये लाल को दान में, आरी चीरे अंग।
बड़ा महादानी कहे, जहाँ बसे आरंग।।16।।

बारसूर मे है मिला, भारी मूर्ति गणेश।
सोमेश्वर श्रीदेव ने, बस्तर रचे महेश।।17।।

भैरमगढ़ शिव पार्वती, नाग सर्प के चिन्ह।
चित्रकोट सबसे बड़ा, लिंग सदाशिव तिन्ह।।18।।

छिंदक नागवंशी करे, बस्तर राजा राज।
मातु सिध्द दंतेश्वरी, सफल बनाते काज।।19।।

राज कवर्धा गोड़ की, वासी पंथ कबीर।
यहाँ महल मे खास है, बकरी गंध समीर।।20।।

साहिब कबीर आगमन, सकरी नद के पास।
है कबीर का धाम यह, धरमदास के वास।।21।।

राजा भोरमदेव ने, चले ताल पर स्नान।
पानी भीतर पर बने, मंदिर पूजन मान।।22।।

माने जाते हैं यहीं, पारस थे तल ताल।
लोहे सोना में ढ़ले, होते माला माल।।23।।

कहते हैं वह ताल में, तैर नीर मे पात्र।
एक बार जब चुरा लिये, ताल नीर रह मात्र।।24।।

दोनों मंदिर विष्णु की,  प्रतिमा लगे समान।
कवर्धा जांजगीर से, नृत्य मिला वरदान।।25।।

मंदिर बनने में हुई, राजा रानी जोर।
एक जगह में बन गयी, दूजे आधा भोर।।26।।

विश्वकर्मा डटे रचे, एक भीम है वीर।
शिवरीनारायण बने, अर्ध है जांजगीर।।27।।

छेनी नीचे भीम की, गिरा बने जो ताल।
हाथी छेनी ला नही, भीम किया बेहाल।।28।।

नारायण ने वास की, शबरी माँ के धाम।
शिवरीनारायण कहे, यही पड़ा है नाम।।29।।

जांजगीर के रूप है, नकटा मंदिर खास।
भाई बहना सह नहीं, यही मिला उपहास।।30।।

कुण्डलियाँ

कांशी कहे खरौद को, दक्षिण कोसल धाम।
लक्षलिंग कर साधना, लखन अग्रज श्रीराम।।
लखन अग्रज श्रीराम, दुष्ट खरदूषण मारे।
रचे काल वनवास, लाख छेदक संवारे।।
कह आँसू कर जोरि, नमन कर मन अविनाशी।
छेद राह पाताल, लोग पूजन करे कांशी।।

माटी में है देवता, राम गमन वन पाथ।
हित अनेक कर वास से, चरण पखारे नाथ।।
चरण पखारे नाथ, नयन कौशिल्या तारे।
चंदखुरी ननिहाल, राज्य में मिले हमारे।।
मुस्काते भगवान, घूमते नदियाँ घाटी।
अरपा पैरी धार, यहीं है सोना माटी।।

गणेश देवता (कुण्डलियाँ)

जय हो गणेश देवता, मोरो घर म बिराज।
मँय हँव निच्चट लेढ़वा, आके रखिदे लाज।।
आके रखिदे लाज, सुन गौरी के लाला।
दुख पीरा ला टार, गोह राहूँ मँय काला।।
कह आँसू कविराज, मोर खुशी के समय हो।
लेहूँ तोरे नाम, गजानंद तोर जय हो।।

सेवा म तोर धाम हे, लड्डू के हे भोग।
रोज करे सब आरती, गावय झूमय लोग।।
गावय झूमय लोग, कोढ़ीन देथस काया।
अँधरी ल दे आँख, निरधन देथस माया।।
हय गाड़ा जोहार, ये गोहार सुन लेवा।
चारो कोती शोर,  रात दिन करबो सेवा।।

देवा हो महादेव के, कारज सुफल बनाय।
चंदन बंदन संग मा, कुमकुम तिलक सजाय।।
कुमकुम तिलक सजाय, मनभावन हे मूरत।
पुज तेरस कविराज, सुग्घर देत हे मेवा।
मँय तो तोरे दास, बिघना हरइया देवा।।

तेरस कैवर्त्य "आँसू"
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जिला - सारंगढ - बिलाईगढ़ (छ.ग.)

Saturday 9 September 2023

तीजा पोरा (दोहा)

तीजा पोरा आत हे, भादो सुफल तिहार।
बहिनी दीदी जात हे, अपन मयके दुवार।।

हे महतारी कमरछठ, बेटा बरे उपास।
घर-घर रहे बहूरिया, बने सिखाये सास।।

बेटा जुग-जुग जीय तँय, माँगय माँ बरदान।
मोरे सिधवा दुलरवा, मोर करेजा जान।।

तीजा रहे उपास सब, नारी मन के जात।
उमर पति के बढ़ाय बर, करू भात सब खात।।

आवव संगी साज बो, बइला ला धो मांज।
 पटका पोरा सांझ के, पूजा कर मन भांज।।

मुरली मोहन झूलना, आये जनम तिहार।
माखन हाड़ी फोड़ना, भाये शुभ बुधवार।।

सावन भादो होत हे, परब रंग बरसात।
बासी नारी खात हे, घरो-घर में समात।।


सिरजनकार:-
तेरस कैवर्त्य 'आँसू"
सोनाडुला (बिलाईगढ़)
जिला-सारंगढ-बिलाईगढ़ (छ.ग.)
मोबाइल - 9165720460

Saturday 19 August 2023

राखी तिहार (छप्पय छंद)

पबरित मया तिहार, माह सावन मे आथे।
घर-घर सबे दुवार, बिकट सुग्घर मन भाथे।
बच्छर दिन बड़ भाग, मोर घर बहिनी भूरी।
बचपन सुरता आय, खान जब होरा झूरी।
मुचमुच हाँसत गोठ कर, भई मन ल बइठाय हे।
दीया थारी बार धर, बंदन कलश सजाय हे।

आरती बने उतार, पियर चाऊर ल साने।
मुड़ माथ फूल ढ़ार, तिलक म चाऊर दाने।
रक्छा संगे लाज, भई बहिनी के आँखी।
बहिनी के हे ताग, हाथ मा बाँधय राखी।
ये बंधना बलखरहा, जिन्गी भर के संग दे।
बहिनी तोरे सबे दुख, अंतस ले तँय रंग दे।

आशीष दे हजार, जियत रहव मोर भाई।
भाई दे उपहार, करय अल्करह बधाई।
अंतस कुंवर पान, तोर गुरतुर हे बानी।
जाबे छुटही जान, चुही आँखी ल पानी।
लउहा आबे फेर तँय, डाहर जोहत थाड़ हँव।
सुध लमाये गुनत मँय, घुना खावत काड़ हँव।


तेरस कैवर्त्य "आँसू"
सोनाडुला (बिलाईगढ़) 
जिला-सारंगढ़-बिलाईगढ़ (छ.ग.)
मोबाइल-9399169503

Friday 3 March 2023

मोह दारे रानी रे

 लड़का - 

तोर मीठ बोली मोला, मोह दारे रानी रे - 2

अइसे काय जादू दारे,  दिल म तँय दीवानी रे।

पतली कमरिया मटकाई देहे न।

रेंगते रेंगत अखियाई देहे न ss

कइसे पीया दारे मया के तँय ह पानी रे।

लड़की - 

जेती देखेव तेहिच नजर, आथस राजा रे - 2

मन मोर चुरत हावे, तीर म तँय आजा रे।

छिप छिप के मोला तँय देखे न।

डाहर गली जब जब भेटे गा ss

बाली उमर मोर हावव फूल ताजा रे।

लड़का- 

चंदा कस तोर सुरतिया, अँजोरी संगी बताथे ओ।

ओठ म लाली माथ के बिंदिया, अब्बड़ नीक सुहाथे ओ।

मुचमुच ले तोर हँसना, जिवरा ल बड़ धड़काथे ओ।

सुरता म नींद नइ आवय, रतिया रतिया जगाथे ओ।

बोली बचन सुन ले, अब मोला चुन ले।

बसे हस अंतस म, समाये नश नश म।

गोल गोल दिखय गाल , हो गय हस मुटियारी रे।

लड़की- 

करथस का बिक्कट मया, मोर घर सगा ले आजा गा।

दाई ददा ल मनाई लेबे, लाबे बराती संग बाजा गा।

मड़वा म भाँवर परा ले, हो जाहू तोरेच चिन्हारी रे।

जनम भर आधार बन धनी, मँय तोर मया के नारी रे।

कभू झिन तँय भूलाबे, कभू झिन तँय रोआबे।

जिनगी हे तोर बस म, हिरदे म भर ते रसना।

पिरीत के बाँध ले डोर, नहीं छोड़व सच वादा रे।

जेती देखेव तहिच नजर, आथस राजा रे।

मन मोर चुरत हावय, तीर म तँय आजा रे।

लड़का - 

तोर मीठ बोली मोला, मोह दारे रानी रे।

अइसे काय जादू दारे, दिल म तँय दीवानी रे।

लड़की - जेती देखेव तहिच नजर, आथस राजा रे।

लड़का - तोर मीठ बोली मोला, मोह दारे रानी रे।



Thursday 29 December 2022

दारू के कमाल

 दारू भठ्ठी खोल के, नफा लेत सरकार।

गाँव गली में चोरहा, होवत हे मतवार।।


पथरा ढ़ेला बोह के, जतने रुपिया बाप।

बेटा होगे फेरहा, चुगली फेरत जाप।।


दारू बंदी हो जही, कहे बात हर बार।

राजनीति हे दोगली, मुखिया हे सरदार।।


घर - घर झगरा माच गे, दारू में दिन रात।

कतको अलहन होत हे, पी के दारू मात।।


कोनो ककरो नी सुने, कुकरी दारू पात।

होनी कछु जब हो जही, बइठे ढ़नढ़न गात।।


रचनाकार - 

तेरस कैवर्त्य "आँसू"

सोनाडुला (बिलाईगढ़)

जिला - सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छ.ग.)

Thursday 2 September 2021

देश प्रेम (देश मया) छत्तीसगढ़ी मनहरण घनाक्षरी

देश हमर सरग, करे ना कभू गरब,
दुनिया बीच अलग, सबले चिन्हारी हे।

जात के नीये सुरता, सुनता के कर बूता,
भुइयाँ के कोरा खूंटा, फूल फुलवारी हे।

आनी बानी मीठ भाखा, गुँथ के अरो के राखा,
सिधवा निचट ताका, नीक नर नारी हे।

संग जीबे मोर गोइया, होके अमर भुइयाँ,
बड़ हे मयारू गिया, दिलवाली कारी हे।

हरियर खेत खार, जोहत नदी के पार,
बोहे आँसू आँखी धार, मया के बीमारी हे।

अंतस म भरे मया, दुखिया के कर छया,
जोरिया के सुध लेया, मोर महतारी हे।

तिरंगा के मान बर, माटी के धियान धर,
बैरी संग लड़ कर, बीर संगवारी हे।

ओ वीर ल जोहार हे, हमर रखवार हे,
काँटा खूँटी का पहार, कुबेरा जगवारी हे।

छोर गुलामी बंधना, लड़े कुसवा संग ना,
खुश हमर अंगना, नाम जयकारी है।

सोन चिरइया बता, माता बेटा के नता,
कोरा म तोर सुता, रानी झलकारी हे।

जन गण मन गान, भारत के पहचान,
तन मन रस खान, भाखा चमत्कारी हे।

नजर लगाबे बैरी, तोर कर देबो गैरी,
पाक तोर राख होही, भारत चिंगारी हे।

।जोहार भारत जोहार छत्तीसगढ़।

रचना :- 
तेरस कैवर्त्य "आँसू"
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)